Imran Khan Jailed For 10 Years: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को राजनयिक गोपनीयता भंग करने के जुर्म में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है। यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब देश आम चुनावों से ठीक पहले खड़ा है और खान खुद चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित हो चुके हैं।
Pakistani PM Imran Khan Jailed For 10 Years
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खान पर आरोप है कि उन्होंने मार्च 2022 में एक जनसभा में गुप्त राजनयिक दस्तावेज का हवाला देकर विदेशी साजिश का दावा किया था। हालांकि उन्होंने उस देश का नाम नहीं लिया, लेकिन बाद में उनकी अमेरिका की तीखी आलोचना सामने आई। अभियोजन पक्ष का कहना है कि खान ने वर्गीकृत दस्तावेज लीक करके और कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचाया, जो आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक का दंड दिला सकता है।
फैसला आने के बाद खान समर्थकों ने नाराजगी जाहिर की। उनकी पार्टी का कहना है कि यह फैसला राजनीतिक रूप से प्रेरित है और वे उच्च न्यायालय में इसे चुनौती देंगे। खान इस वक्त जेल में हैं और ना तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया को, ना ही उनके वकीलों को विशेष अदालत की कार्यवाही में शामिल होने दिया गया।
खान के समर्थकों ने यह भी दावा किया कि उनके वकीलों को बचाव पक्ष का प्रतिनिधित्व करने या गवाहों से जिरह करने का मौका नहीं दिया गया। उधर, बलूचिस्तान प्रांत में राजनीतिक रैली के दौरान हुए विस्फोट में खान की पार्टी के चार कार्यकर्ताओं की मौत और पांच अन्य घायल हो गए। पुलिस ने प्रारंभिक जांच में विस्फोटक युक्ति का इस्तेमाल होने का संदेह जताया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसे किसने लगाया।
इस फैसले ने पाकिस्तान में राजनीतिक माहौल और गरमा दिया है। चुनाव से पहले यह घटनाक्रम देश के भविष्य को किस ओर ले जाएगा, यह देखने लायक होगा।
पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट स्टार और पीएम इमरान खान को राजनयिक दस्तावेज लीक के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई गई है। ये फैसला ऐसे वक्त आया है जब देश अगले महीने होने वाले आम चुनावों की तैयारी कर रहा है, लेकिन खान खुद चुनाव लड़ने से वंचित हैं।
पाकिस्तान में न्यायिक तख्तापलट
मामला एक रहस्यमयी “चिट्ठी” से जुड़ा है, जिसे खान ने मार्च 2022 में एक सभा में लहराया था और दावा किया था कि ये विदेशी साजिश का सबूत है। उन्होंने उस देश का नाम नहीं लिया, लेकिन बाद में अमेरिका की तीखी आलोचना की। अभियोजन पक्ष का कहना है कि खान ने ये गोपनीय दस्तावेज लीक करके गंभीर अपराध किया है, जिसकी सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है।
फैसला आते ही, पाकिस्तान में सियासी भूचाल आ गया है। खान समर्थक इसे “न्यायिक तख्तापलट” करार दे रहे हैं, जबकि उनकी पार्टी पीटीआई फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। दिलचस्प बात ये है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया को भी विशेष अदालत की कार्यवाही में शामिल नहीं होने दिया गया, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं।
इस बीच, इस फैसले का असर चुनावों पर भी पड़ सकता है। खान के समर्थकों में भारी गुस्सा है, जिसका अंदाजा बलूचिस्तान में हुई रैली के दौरान हुए विस्फोट से लगाया जा सकता है, जिसमें पीटीआई के चार कार्यकर्ता मारे गए। अब देखना होगा कि ये घटनाक्रम पाकिस्तान के लोकतंत्र को किस दिशा में ले जाता है।
महत्वपूर्ण बातें:
- खान ने गोपनीय दस्तावेज लीक कर कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचाया, जिसका आरोप है।
- फैसला चुनाव से पहले आया है, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
- खान समर्थक फैसले को मानने से इनकार कर रहे हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
- चुनावों पर इस घटनाक्रम का क्या असर होगा, यह अनिश्चित है।
इमरान खान को सजा का फैसला 8 फरवरी को होने वाले राष्ट्रीय चुनाव से ठीक पहले आया है, जिस पर पहले ही ये आरोप लग रहे हैं कि पीटीआई को निष्पक्ष चुनाव प्रचार का मौका नहीं दिया जा रहा है।
हालांकि सरकार पीटीआई पर दबाव बनाने से इनकार करती है, लेकिन पार्टी के कई नेता या तो जेल में हैं या उन्होंने पार्टी त्याग दी है। पीटीआई के उम्मीदवारों को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना पड़ रहा है और कई तो फरार भी हैं।
पिछले मई में इमरान खान की पहली गिरफ्तारी के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद, जिनमें से कुछ हिंसक भी थे, पुलिस ने पीटीआई के हजारों समर्थकों को भी हिरासत में लिया था।
इस पूरे वातावरण ने पाकिस्तान में आगामी चुनावों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। ये घटनाक्रम चुनाव के निष्पक्ष होने पर संदेह पैदा करता है और पीटीआई के भविष्य पर भी सवाल खड़ा करता है।
पाकिस्तान के आगामी चुनावों को लेकर अनिश्चितता का साया मंडराने लगा है। सबसे पहले इमरान खान को जेल की सजा सुनाई गई, साथ ही उनकी पार्टी का प्रसिद्ध बैट चुनाव चिन्ह भी छीन लिया गया। गौरतलब है कि पाकिस्तान में कम साक्षरता दर के कारण मतदाताओं के लिए चुनाव चिन्ह बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, जो उन्हें सही उम्मीदवार चुनने में मदद करते हैं।
दूसरा बड़ा सवाल यह है कि क्या अगले गुरुवार को होने वाले चुनाव निष्पक्ष होंगे? अभी भी पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक इमरान खान और उनकी पार्टी को जिस हद तक अलग-थलग कर दिया गया है, उसे देखते हुए कई लोग चुनाव की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।
तीसरा और चौथा पहलू प्रत्याशियों से जुड़ा है। जीत के सबसे बड़े दावेदार तीन बार के पूर्व पीएम नवाज शरीफ हैं, जो शरद ऋतु में स्व-निर्वासन से लौटे हैं। उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में देश की शक्तिशाली सेना को कई चुनौतियां दी हैं और 2018 के चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में भी बंद रहे थे, जिसमें इमरान खान विजयी हुए थे।
लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। नवाज शरीफ के खिलाफ सभी मुकदमे खत्म हो गए हैं, जिससे कई लोगों को यह विश्वास हो गया है कि वर्तमान में उन्हें सत्ता प्रतिष्ठान का समर्थन प्राप्त है, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी इमरान खान, जिन्हें पहले सेना के करीबी माना जाता था, अब सेना के इष्ट न रहे।
इस तरह पाकिस्तान के आगामी चुनावों में ये चार प्रमुख बिंदु अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं: इमरान खान की सजा, पार्टी का चुनाव चिन्ह छीना जाना, चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल और चुनाव में शामिल प्रमुख प्रत्याशियों का बदलता राजनीतिक परिदृश्य। सोर्स BBC
पाकिस्तान में नोटेबंदी
पाकिस्तान में नहीं हो रहा नोटबंदी जैसा फैसला, नकली नोटों से निपटने के लिए आएंगे नए नोट!
पाकिस्तान में अफवाहें उड़ रही हैं कि सरकार नोटबंदी करने जा रही है, लेकिन ऐसा नहीं है। असल में, पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) ने बाज़ार में बढ़ते नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए नए नोट जारी करने का फैसला किया है।
इन नए नोटों में आधुनिक और बेहतर सुरक्षा तकनीकें शामिल होंगी, जिससे इन्हें नकली बनाना मुश्किल हो जाएगा। बैंक के गवर्नर जमील अहमद ने बताया कि यह बदलाव धीरे-धीरे होगा ताकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कोई दिक्कत न हो।
यानी, पुराने नोट अभी अमान्य नहीं होंगे। उन्हें धीरे-धीरे नए नोटों से बदला जाएगा। बैंक जल्द ही बताएगा कि पुराने नोट कब तक चलेंगे और उन्हें नए नोटों से कैसे बदला जा सकता है।
नोटेबंदी की ज़रूरत क्यों?
पाकिस्तानी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि काले धन की समस्या से जूझ रहे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर बड़े-बड़े नोटों के चलन का बहुत बुरा असर पड़ता है। ये बड़े नोट काला धन छिपाने और लेन-देन करने को आसान बनाते हैं, जिससे सरकार को कर का नुकसान होता है और अर्थव्यवस्था कमज़ोर होती है।
कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि बड़े नोटों को बंद कर देना चाहिए या उनकी संख्या कम कर देनी चाहिए, ताकि काला धन का इस्तेमाल मुश्किल हो जाए। लेकिन, ये फैसला काफी पेचीदा है क्योंकि इससे लोगों को दिक्कत हो सकती है और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है।
इसलिए, पाकिस्तान सरकार को इस समस्या से निपटने के लिए अन्य उपाय भी करने होंगे, जैसे बेहतर वित्तीय प्रणाली बनाना, कर चोरी रोकने के लिए सख्त कदम उठाना और लोगों को डिजिटल भुगतान को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना। सोर्स: फ़र्स्ट पोस्ट
कुछ पाकिस्तानी लोगों का मानना है कि इस राजनीतिक उलटपलट और नोटेबंदी के पीछे अमेरिका, इंडिया और PM नरेंद्र मोदी हैं। लेकिन ये सब सिर्फ़ अफ़वाहें हैं और ऐसे स्टेट्मेंट्स के पीछे राजनीतिक मंशा छिपी रहती है जिनमे कोई सच्चाई नहीं है।