२२ जनवरी २०२४ को अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिस्था धर्म अवम शास्त्र के अनुसार प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा दोपहर १२:३० पे की गयी। समस्त सनातनियों को खबर १८ की तरफ़ से हार्दिक सुभकामनाएँ। जय श्री राम!
५०० साल के बाद, अयोध्या नगरी में एक महत्वपूर्ण घटना हुई है – भगवान राम के मंदिर में उनकी प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया है। इस अत्यंत ऐतिहासिक पल के साथ, अयोध्या ने एक नए युग की शुरुआत की है और भक्तों के लिए यह काफी अद्वितीय और धार्मिक घड़ी है।
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मंदिर की नींव:
भगवान राम के मंदिर का निर्माण कार्य पुरानी परंपराओं और लोककला के साथ किया गया है। 5 अगस्त 2020 को इस मंदिर की नीव रखी गयी थी। सधे ३ साल बाद आज मंदिर का काफ़ी हिस्सा कम्प्लीट हो चुका है। मंदिर काफ़ी भव्य दिख रहा है। मंदिर के पूर्ण निर्माण में लगभग २ और वर्ष लगने की सम्भावना है।
पौराणिक महत्व:
अयोध्या नगर का इतिहास पौराणिक कथाओं से भरा हुआ है। भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में जाने जाने वाले इस स्थल से जुड़ी काफ़ी पौराणिक कथाएँ है। तुलसीदास रचित रामायण में अयोध्या को भगवान राम की जन्मभूमि बताया गया है। पौराणिक काल में महाराजा दशरथ अयोध्या के राजा हुआ करते थे। । लेकिन भगवान राम के मंदिर का निर्माण इसे और भी महत्वपूर्ण बना देता है, क्योंकि इससे यह सिद्ध होता है कि भगवान राम ने यहां वास किया था और उनकी प्राण प्रतिष्ठा इस स्थल को भगवान की आत्मा से युक्त कर देती है।
भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा:
भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन एक श्रद्धालु और भक्तिमय समुदाय के साथ हुआ है। इस आयोजन में भारत के जाने,माने प्रतिस्थित नागरिकों को निमंत्रण भेजा गया। प्राण प्रतिस्था के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ना ११ डीनो का यम नियम का ताप किया। इस महोत्सव में समृद्धि और आनंद की भावना से भरा हुआ है। मंदिर के प्रांगण में हजारों भक्त एकत्र होकर इस पवित्र पल का आनंद ले रहे हैं। पूजा-अर्चना के साथ-साथ संगीत और नृत्य कार्यक्रमों से महोत्सव को और भी समृद्धि दी जा रही है।
सामाजिक एवं राष्ट्रीय महत्व:
इस घड़ी में नहीं सिर्फ धार्मिक, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय महत्व भी है। भगवान राम के मंदिर का निर्माण एक समृद्धि और सांस्कृतिक अनुष्ठान का प्रतीक है जो समृद्धि, एकता, और सामंजस्य की ओर बढ़ने का संकेत करता है। इसमें भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों और समुदायों की भागीदारी ने एक सशक्त राष्ट्र की दिशा में एक सकारात्मक कदम बढ़ाया है।
भगवान राम के आगमन के साथ, अयोध्या के साथ एक नए काल चकरा की शुरुआत हुई है और इस महोत्सव ने समृद्धि और समरसता की भावना को बढ़ावा दिया है। भगवान राम के मंदिर का निर्माण एक सांस्कृतिक, धार्मिक, और राष्ट्रीय पर्व के रूप में हरित किया गया है, जिससे यह एक ऐतिहासिक घड़ी बन गई है जो हमारे समृद्धि और समरसता की ओर एक कदम और बढ़ाएगी।
Ram Mandir Timeline
राम मंदिर का समयरेखा: 1528 में हुआ था बाबरी का निर्माण, 2024 में हुई राम लला की प्राण प्रतिष्ठा
- 1528: मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण किया।
- 1885: महंत रघुवर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर की, लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी।
- 1949: विवादित ढांचे के बाहर रामलला की मूर्ति रखी गई।
- 1986: स्थानीय अदालत ने सरकार को हिंदू भक्तों के लिए स्थल खोलने का आदेश दिया।
- 1989: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित ढांचे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
- 1992: बाबरी मस्जिद को ‘कार सेवकों’ ने ध्वस्त किया।
- 1993: केंद्र ने ‘अयोध्या में निश्चित क्षेत्र का अधिग्रहण अधिनियम’ पारित किया।
- 2002: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मालिकाना हक का निर्धारण करने के लिए सुनवाई शुरू की।
- 2010: उच्च न्यायालय ने विवादित क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया।
- 2011: उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या भूमि विवाद पर उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई।
- 2019: उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया।
- 2019: उच्चतम न्यायालय ने भूमि विवाद पर रोजाना सुनवाई शुरू की।
- 2019: उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में पूरी 2.77 एकड़ ज़मीन रामलला को दे दी, और केंद्र सरकार को मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिमों को पांच एकड़ ज़मीन आवंटित करने का आदेश दिया।
- 2020: प्रधानमंत्री ने लोकसभा में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन की घोषणा की।
- 2020: प्रधानमंत्री ने राम मंदिर की नींव रखी।
- 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राम मंदिर अयोध्या मी प्राण प्रतिस्था